गुरुवार, 9 जुलाई 2009

खामोसी

ना माल्लुम इसका राज क्या है
ये आँखों मे हल्की सी बरसात क्यों है
बचपना और चंचलता तो बहुत है
पर ना जाने कभी-कभी ये होंठ खामोश क्यो है