पल ने पलकों पर राज किया
आँखों को सपनो के नाम किया,
एक आता टूट जाता ,फ़िर दूजा
वो भी टूट जाता .......सिलसिला चलता रहा ,
आते रहे जाते रहे
फ़िर जिंदगी ने नया जन्म लिया
नये लोगो के बीच ला कर खड़ा किया ,
आँखों ने फ़िर से छेडी सपनो की लड़ी
जो एक नया था,उसे पहनाई हथकडी ,
समां लिया सपनो के साथ उसे भी आँखों मे
फ़िर एक दिन डोलने लगा सपना
आंखे भर आई ...दिल ने जोर -जोर से आवाज लगायी
जाता रहा सपना और पीछे रहे गया अपना
शनिवार, 1 अगस्त 2009
गुरुवार, 9 जुलाई 2009
खामोसी
ना माल्लुम इसका राज क्या है
ये आँखों मे हल्की सी बरसात क्यों है
बचपना और चंचलता तो बहुत है
पर ना जाने कभी-कभी ये होंठ खामोश क्यो है
ये आँखों मे हल्की सी बरसात क्यों है
बचपना और चंचलता तो बहुत है
पर ना जाने कभी-कभी ये होंठ खामोश क्यो है
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